वर्तमान टकराव है जनता की प्रजातान्त्रिक अपेक्षाओं का साम्राज्यवादी ताकतों के साथ -भारत के सभी राज्यों में पुलिस व्यवस्था आज भी अंग्रेजों द्वारा बनाये गए अर्ध फौजी ढाँचे, अर्ध फौजी ट्रेनिंग एवं फौजी अनुसाशन, तथा आम आदमी को भयभीत कर वसूली करने की नीतियों पर आधारित है /जिसका परिणाम है जनता की प्रजातांत्रिक अपेक्षाओं का वर्तमान पुलिस व्यव्य्स्था की कार्यशैली के साथ सीधे टकराव तथा इससे उत्प्प्न मुकदमेबाजी एवं हिंसा तथा पुलिस के प्रति जनता का अविश्वाश/बुनियादी ढांचे की त्रुटियों के परिणामों का शिकार आम आदमी ही नहीं अपितु अपने विवेक से न्याय करने एवं सत्य के राह पर चलने वाला प्रतेक पुलिस अधिकारी इस ढांचागत खामियों का शिकार है / वर्तमान पुलिस ढाँचे में 86-90 % कांस्टेबुलरी तथा 12-13% सब इंस्पेक्टर एवं इंस्पेक्टर हैं जो की ३०-३५ वर्ष की सेवा और अनुभव के बावजूद एक अथवा दो पद प्राप्त कर रिटायर हो जाते हैं/ वर्तमान पुलिस ढांचे की 99.87% संख्या उपरोक्त वर्ग की है/ 0.13% IPS अधिकारी जो सम्पूर्ण महकमे की बागडोर सँभालते हैं तथा राजनेताओं के समक्ष केवल एक बिचोलिये एवं मीडिया के समक्ष केवल एक जन सम्पर्क अधिकारी की भुमका निभाते रहते हैं इनकी सेरेमोनियल कार्यशैली तथा ट्रेनिंग इन्हें वास्तविकता से कोसों दूर रखती है जिसका खामियाजा भुगतती है आम जनता /
एक ओर अंग्रेजी कानून व्यवसथा एवं कार्यप्रणाली उस निरंकुश IPS श्रेणी को जन्म देती है जो प्रसाशनिक एवं अनुसाशनात्म्क शक्तियों से लेस हो, सम्पूर्ण पुलिस महकमे के कुकृत्यों को संरक्षण दे कर लोकतंत्र के लिए खतरा उत्पन्न करती है वहीँ इस निरंकुश श्रेणी की निष्क्रियता तथा इसके संगठित भ्रस्टाचार के लिए उसे जिम्मेदार ठहराने का कोई मापदंड नहीं है/ रोज़मर्रा की पुलिस किरियाकलापों में इस निष्क्रिय श्रेणी का अनुभव विहीन रोल बिना जवाबदेही का है जिसका खामियाजा भुगतते हैं उसके निचे वाले अग्रिम पंक्ति पुलिस अधिकारी तथा पुलिस की शिकार जनता / सर्वोच्च न्यायालय के दखल से आरम्भ किये गए पुलिस सुधार किसी भी रूप से 99.87% अग्रिम पंक्ति पुलिस वर्ग की कार्यक्षमता, कार्यकुशलता को बढ़ावा नहीं देते तथा ना ही यह बढ़ावा देते हैं IPS श्रेणी की जवाबदेही को और परिणाम है सुधारों के लागू होने के बावजूद पुलिस विभाग जहां के तहां खड़े हैं /
देश में प्रजातंत्र की सुरक्षा के लिए सर्वप्रथम ज़रूरी है प्रजातान्त्रिक अपेक्षाओं के मुताबिक पुलिस के पुन: प्रसिक्षण एवं कार्य कौशल के आधार पर सम्पूर्ण पुलिस विभाग के निम्न वर्गों में वर्गीकरण की पेट्रोल आफिसर , इन्वेस्टीगेशन आफिसर, स्पेसिलिस्ट्स(फोरेंसिक/टेक्निकल आदि) तथा पॉलिसी मेकर्स में वर्गीकरण की / कांस्टेबल से लेकर कमिशनर/डीजीपी तक की योग्यता का परिक्षण कर इन्हें उक्त वर्गों में पुनर्गठित कर इनका वेतन इनकी योग्यता तथा निभाए जाने वाली जवाब्देहियुक्त जिमेवारी के मुताबिक निर्धारित किया जाये / जिससे की नागरिकों को प्रजातान्त्रिक मूल्यों पर खरा उतरने वाली एवं दक्षता पर आधरित पुलिस सेवा प्राप्त हो सके/
पहला कदम है साझा बैठक द्वारा लोकल सामुदायिक नेताओं एवं अंग्रिम पंक्ति पुलिस विभाग के इस वर्ग के बिच खुले संवाद की, जिससे की अपराध/संगठित भ्रस्टाचार पीड़ित जनता की प्राथमिकताओं के मुताबिक पुलिस क्रियाकलापों को व्यवस्थित किया जा सके/ साथ ही आवश्यकता है चुने हुए राजनितिक प्रतिनिधियों को पुलिस के नीतिगत मुद्दों पर समयबद्ध सीमा में निर्णय लागू करने की जिससे पुलिस महकमे का तुरंत असेन्यीकरण, विकेंद्रीकरण तथा /Police Reforms from Peoples’ Perspective-Public is Police(PRPP-PP) शुरुआत है इस दूरगामी मुहीम की जो की न केवल आम जनता की तत्कालीन सुरक्षा जरूरतों को जानने एवं पूरा करने की प्रकिरिया को आरंभ करेगी अपितु नीतिनिर्धारकों एवं जनता एवं अग्रिम पंक्ति पुलिस अधिकारीयों के बिच सीधे संवाद को आरंभ करेगी जिससे की पुलिस व्यवस्था में आमूलचूल ढांचागत बदलाव लाये जा सकें तथा पुलिस को प्रजातांत्रिक बनाया जा सके more