आक्रोश के परिणाम को देखकर, सड़क दुर्घटना व् असुरक्षा में एक और पहलु जुड़ गया है
दिल्ली की सड़कें किसी के लिए भी सुरक्षित नहीं हैं
न तो दुर्घटना पीड़ित मेह्फूस है अगर समय पर अस्पताल नहीं पहुंचा या इलाज़ नहीं मिला तो जान जा सकती है और अभियुक्त पर जनता का आक्रोश जानलेवा हो सकता है
ऐसे में कोई कैसे उम्मीद करे कि दुर्घटना के बाद अभियुक्त पीड़ित की मदद करके इंसानियत दिखाए और कैसे कोई राहगीर पीड़ित को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाले
बचाने वाले को कभी- कभी मारनेवाला भी समझ लिया जाता है और
दुर्घटनास्थल पर एकत्रित भीड़ गलती साबित हुए बिना ही ,सफाई सुने बिना ही उसी समय सजा सुनाती है
कभी कभी ये भी जानलेवा हो जाती है
सड़क को सुरक्षित बनाने के लिए तरीके ढूंढने होंगे , कदम उठाने होंगे
पुलिस को घटनास्थल पर तुरंत पहुँचाना होगा ,पुलिस के हर वाहन में
मरीज को ले जाने के लिए प्रबंध और फर्स्ट ऐड किट होनी चाहिए
हर पुलिस कर्मी को फर्स्ट ऐड की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए
रफ़्तार और रुकावट दोनों ही जानलेवा हो सकते हैं
गतिसीमा को लांघने वाले हर वाहन-चालक का
चालान करने की तकनीक खोजनी होगी
सुनिश्चित करना होगा
\सड़क पर रुकावट कहीं भी हो, दूर से संकेत मिलना चाहिए
रुकावट पर कोई कर्मचारी या पोलिसकर्मी तैनात होना चाहिए
हर नागरिक को यह समझना होगा कि यातायात के नियम हमारी सुरक्षा
के लिए बने है उनका पालन करना अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना है
इसके बावजूद भी दुर्गघटना हो तो हमें संयम रखना होगा
ताकि मदद करने वाला सुरक्षित महसूस करे चाहे , वो अभियुक्त ही क्यों न हो. यह सड़क को सुरक्षित बनाने के लिए है
याद रखो कोई आपका इंतज़ार कर रहा है और हर किसी का कोई न कोई इंतज़ार कर रहा हे more