डीमेट समस्या और निदान
मैं डीमेट के पक्ष में ही केवल नहीं हूँ बल्कि चाहता हूँ कि सारे भौतिक शेयर डीमेट में परिवर्तित हो जाँय। इसके लिये SEBI एवं MCA को व्यवहारिक तथ्यों पर गौर ही नहीं निदान की ब्यवस्था करनी चाहिये ।
अब मैं उदाहरणार्थ कुछ छोटे वरिष्ठ शेयरधारकों की समस्या प्रस्तुत कर रहा हूँ -
1) पति-पत्नी के संयुक्त नाम में शेयर हैं ।किसी भी कारणों से दोनों अलग अलग रह रहे हैं यानि तलाक भी नहीं लिया है और आपसी सारे रिश्ते स्थगित हैं ।
2) अपने पुत्र / पुत्री के साथ संयुक्त नाम से शेयर हैं और पुत्र / पुत्री पढ़ने विदेश गये सो लौट ही नहीं रहे हैं या शादी होने के बाद विदेश गये और वापस लौटना कब होगा अनिश्चित है।
3) पिता / माता की मृत्यु पश्चात बच्चों के संयुक्त नाम में शेयर पर उनके आपसी असहनशीलता के चलते समस्या हो रही है।
इसी तरह और भी समस्या लिये संयुक्त नाम वाले शेयरधारकों के लिये SEBI एवं MCAको ट्रांसफर की सुविधा जारी रखनी चाहिये हाँलाकि अब से SEBI एवंMCA दोनों ही यदि डीमेट की जिम्मेदारी कम्पनियों पर डाल दे यानि जो भी शेयर ट्रान्सफर / ट्रान्समिशन / ट्रान्सपोजिसन के लिये आयें तो उन पर कार्यवाही पश्चात डीमेट खाते में ही क्रेडिट दिया जाय तो निश्चित ही बहुत कम समय में काफी संख्या में भौतिक शेयरों से मुक्ती मिल जायेगी ।
बाकी विस्तार से मैंने आपलोगों के समक्ष पहले रखा ही है ( SEBI को भी पत्र भेजा है हाँलाकि हर ईमेल पते पर MCA को भेजी मेल लौट गयी ) फिर भी यहाँ लिंक उपलब्ध करा रहा हूँ -<
https://bit.ly/2OuJaYU>;
अब मैं आप जैसे प्रबुद्ध लोगों के समर्थन की आशा करता हूँ। लेकिन केवल मेरे अकेले का कोई सुनेगा नहीं हाँ आप लोग भी प्रधानमंत्रीजी / जेटलीजी / SEBI / MCA को Tweet कर मेरे द्वारा सुझाये उपायों पर ध्यान देने का आग्रह करें तभी कुछ सम्भव हो पायेगा।
आप स्वयं भी Tweet करें औरों को भी प्रोत्साहित करें यही आपसे अपेक्षा है।
जी डी बिन्नाणी
बीकानेर
gd_binani@yahoo.com 7976870397/9829129011
नोट : Unlisted कम्पनियों के तो पते मिलना ही एक विकराल समस्या है उसके बाद यदि शेयर किसी भी कार्य वास्ते जमा दें तो वापस आयेगा ही नहीं और कडे तगादे से वापस मिल भी जाय तो आधा अधुरा ही काम किया परिलक्षित होगा।
ऐसी काफी कम्पनियाँ हैं जो Stock Exchange में Listed करा कर Unlisted हो गयीं जिसके चलते छोटे वरिष्ठ शेयरधारक परेशानी झेल रहे हैं जिसका निवारण MCA को करना चाहिये अन्यथा छोटे वरिष्ठ शेयरधारक इस तरह की परेशानियों से ऊबर ही नहीं पायेंगे।
आशा है कि सरकार उपरोक्त सभी तथ्यों की बारीकी से विवेचना कर सही कदम उठा छोटे वरिष्ठ शेयरधारकों के हितों की रक्षा में अपना योगदान अवश्य देगी ।