सड़क दुर्घटनाओं की संख्या आपलोगों को पता ही है। मेरे पास एक मोटरसाइकिल चलाने का अनुभव 18 साल का है। मोटरसाइकिल के लिए जेनरल इंश्योरेंस पॉलिसी लेना कानूनी रूप से अनिवार्य है और ये अनिवार्यता थर्ड पार्टी के लिए ही है । जहां तक मुझे पता है । मुझे लगता है कि ये मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है। यदि दुर्घटना में एक मोटरसाइकिल चालक घायल या मृत हुआ तो उसे या उसके परिजनों को तब तक कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलता है जब तक कि वह घायल या मृतक टक्कर मारकर भागने वाले वाहन की रजिस्टेशन संख्या (नम्बर) सबूत व गवाहों के साथ न्यायालय में पेश नहीं करता है। मैं 20/05/2015 को दुर्घटना का शिकार हुआ था। 6 दिनों तक आईसीयू में रहा था। चार महीनों तक मेरी याददाश्त नहीं रही तो हम जैसे लोग कहां से टक्कर मार कर भागने वाले वाहन की संख्या और सबूत जुटा सकते हैं? कृपया इस जेनरल इंश्योरेंस को वाहन चालक के लिए अनिवार्य करने की कृपा करेंगे। अभी मैं एक स्टार से ही रेटिंग करने के लिए बाध्य हूं क्योंकि ये मेरे अनुभव पर आधारित है। मेरा इलाज गुरुग्राम, हरियाणा के नीलकंठ हॉस्पिटल में हुआ था। FIR नम्बर -0018 है। मुझे बाद में जानकारी मिली कि हॉस्पिटल ने कहा कि पहले दस हजार रुपए जमा करो फिर मरीज का इलाज शुरू करूंगा। क्या लाभ है इस जेनरल इंश्योरेंस से एक ईमानदार, गरीब और कम पढ़े लिखे लोगों को? मृतक को छोड़कर चलते हैं जीवित व्यक्ति की ओर । सड़क दुर्घटना के बाद सर(माथा) फूट गया तो महीनों या सालों बेरोजगारी में रहा । जहां काम करता था वहां के लोग समझ गए कि यह आदमी अब दिमागी तौर पर पहले जैसा सक्षम नहीं है। तो रोजगार गई । अब वह घायल कहां से अपने परिजनों का पालन करेगा? अपना उपचार कराने के लिए कहां से धन लाएगा? खैर हमारे सड़क पर दुर्घटना से मरे या घायल हुए लोगों को कौन देखता है?? हां उस दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति का मोबाइल फोन वगैरह लेकर भाग जाते हैं हमारे देश या समाज के लोग । यहाँ बस एक ही बात स्पष्ट दिखाई देता है "जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों " । फिर ऐसे दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति के हिट एंड रन बनाकर पेश हुए एफआईआर को देखते ही कोई वकील मुकदमा दर्ज करने के लिए तैयार नहीं होता है। कृपया ध्यान देने की बात है कि मेरे मित्र वकील हैं और दुर्घटना के बाद सबसे पहले वकील मित्र को ही फोन किया गया नीलकंठ हॉस्पिटल के डॉक्टर के द्वारा ।