तो क्या भारत में अपना वादा की इज़्ज़त रखना अब भगोड़ा कहलाता है ? ६० साल में इतना बे-ईमान की आदत हो गयी है की लगता है अब शायद हमें दूसरे देश से सभ्यता का पाठ पढ़ना होगा ?
चाहे कोई भी चुनावी वायदा हो , चाहे मुझे मर्डर, बलात्कार , बाढ़ , भूकम्प , दंगे , सरकारी मशीनरी की विफलता हो अस्पताल में, कानून में... कुछ भी हो मेरे नेता पर जू नहीं रेंगती और में ये मान कर चुप हो जाता हु , की नए भारत में ऐसे ही राजनीती होती है , ये ही नया लोकतंत्र है .
सब कुछ ठीक चल रहा था की इस केजरीवाल ने आकर मुझसे कहा की , माफ़ करो मेरी सरकार ने अगर १८ सूत्र का वादा पूरा नहीं किया तो मुझे नहीं चाहिए सरकार , तो में कंफ्यूज हो गया ... ये कैसा पागल है !! ये समझोता क्यों नहीं कर रहा , आरे कौन सा लोग मर रहे हैं कौन सा पहाड़ टूट पड़ा लोकपाल ही तो है , बाद में आ जाता ...बहुत आसान है ,
मगर जरा सोच कर देखना.... अगर किसी इंसान ने एक बार लोकपाल के लिये धोखा दे दिया तो फिर क्या हमारे किसी और मुसीबत में वो धोखा नहीं देगा ? लिंकन कहते थे की अगर किसी का चरित्र आजमाना है तो उसको ताकत दे कर देखो .
जब तक हम या हमारे किसी आपदा (DISASTER ) में नहीं फसते तभी तक दुनिया रंगीन रहती है . more