आज मैंने फेस बुक पर पढ़ा कि अमेरिका में बिजली गुल होने पर अमेरिकन बिजली के दफ्तर में फोन लगाते है जबकि जापनी अपने घर का फ्यूज देखते है और भारतीय आज बाजू के घरो में बिजली नहीं है यह देखकर संतुष्ट हो जाते है अर्थात वे बिजली के दफ्तर के अधिकारियो को तकलीफ नहीं देते है. यदि जिनायींन कष्ट के फ़ोन किया जाया तो कष्ट सुनने के बजाय खाने को दौडते है यह तथ्य इस घटना से साबित होती है. पिछले कुछ दिनों से हमारे गाव की बिजली सुबह 11 बजे गुल होती है और शाम 6 के लगभग आती है. मैंने इस विभाग के उपयंत्री इस विषय में बातचीत कि उन्होंने बताया कि टावर लाईन केंद्र सरकार द्वारा डाली जा रही इसके ठेकेदार काम कर सके इसीलिए यह व्यवस्था की गयी है मैंने उपयंत्री महोदय से कहा 'महाशय 40-42 डिग्री के आसपास पारा चल रहा है बच्चे, बूढ़े और महिलाये गरमी के कारण परेशान है. उन्होंने कहा मेरे EE ने आदेश दिया है आप EE से बात कर लीजिये EE साहब का जवाब चौकाने वाला था उन्होंने कहा कि आपकी परेशानी से हमें कोई लेना देना नहीं हम सरकार का काम कर रहे इसमें मै कुछ भी नहीं कर सकता. किन्तु इनके कथन के बाद बिजली का गुल होना बंद हो गया. शायद किसी VIP का आगमन हुआ हो. आज फिर बिजली 11 बजे गुल हुयी मैंने अधीक्षण यंत्री को फोन लगाकर उनसे पूछा सर क्या मै आपसे बात कर सकता हूँ उन्होंने कहा बिलकुल नहीं मै एक शादी में हूँ जब मैंने याद दिलाया कि आप लोक और कार्यपालिक सेवक है तब उन्होंने कहा जल्दी बताये मैंने उन्हें समस्या बताई तब उन्होंने कहा यह बात लिंगा के SE को बताये मैंने कहा महोदय मैंने SE और EE दोनों से बात की किन्तु वे समस्या का समाधान निकालने के लिए इच्छुक नहीं है . उन्होंने कहा मै देखता हूँ. उनके इस कथन में मुझे समस्या को उपेक्षित करने का भाव लगा इसीलिए मैंने MPEB ग्रिविसेंस सेल के सदस्य को फ़ोन लगाया उन्होंने आत्मीयता से बात की और समस्या का समाधान खोजने का आश्वासन दिया और समस्या की अद्यतन स्थिति जानने के लिए 1 घंटे बाद टेलीफ़ोन करने का निर्देश भी अपने उपभोक्ता को दिया यथा समय टेलीफोन लगाया किन्तु कोइ उत्तर नहीं दिया गया इसके बाद 3.23 PM को फिर फोन किया व्यस्त मिला. इस घटना से निम्न सबक मिलते है. सुखद यह है कि आज बिजली चालू है.
1. अधिकारी के निर्णय को बदलने में कोई भी समर्थ नहीं है. लगता है हम लोकतंत्र में नहीं इनके तंत्र में जीवन जी रहे है.
2. MPEB एक व्यावसायिक संघठन है. व्यवसाय में ग्राहक से कैसा व्यवहार किया जाए इस ज्ञान को भूल गए है.
3. टावर लाईन में खम्बे गड़ाने का कार्य चल रहा है, खम्बा गड़ाने और बिजली को गुल करने का क्या सबंध है. मेरे समझ के परे है.
4. क्या राज्य सरकार को यह अधिकार नहीं है कि वह केंद्र सरकार को कहे की भीषण गरर्मी के कारण शट डाउन लेना संभव नहीं है, एक दो अच्छी बारिश होने के बाद इस कार्य को किये जाने पर विचार किया जाना प्रस्तावित है. मै जानता हूँ कि ऐसा कहने का साहस किसी अधिकारी ने नहीं किया होगा.
4. लोकतंत्रीय सरकार क्या जनता को तकलीफ देकर कोई कार्य कर सकती है.
5. क्या जनता का फोन उठाना उपभोक्ता का अपमान नहीं है.
ये सभी प्रश्न विचारणीय है. आप क्या सोच रखते है अवगत कराये
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