जिस इतिहास को छुपा लिया था..ये हमारे प्यारे-प्यारे हाथ..
.
अरे ये क्या…?? कमबख्त मेरे हाथ में पड़ा झाड़ू भी टूट कर बिखरने लगे है..
.
कुछ यंहा गिरा …..कुछ वंहा गिरा..
.
मित्रो मै तो थक गई..चली मै..माँ लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना करने.. _/\_
.
मित्रो मैंने सुना है..माँ लक्ष्मी कमल के फूल से प्रसन्न होती है.. more