साप्ताहिक बाजार के नाम पर निगम में गड़बड़झाला. 90% in pockets.
वास्तविकता कुछ और है। प्रत्येक बाजार में 5 सौ से भी अधिक दुकानदार बैठते हैं और दिल्ली भर में बाजारों की संख्या पांच सौ से भी अधिक है। एक माह में चार बार बाजार लगते हैं। नगर निगम पॉश व नियमित कालोनियों में प्रति दुकानदार से 15 रुपये तथा अवैध कालोनियों में लगने वाले बाजारों में बैठने वाले प्रति दुकानदार से 10 रुपये वसूलता है। इस हिसाब से निगम की वसूली का आंकड़ा एक करोड़ को भी पार करना चाहिए।
Glaring example of corruption. 90% in pockets.
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