आप’ की असफलता भारतीय प्रजातंत्र का काला दिन- Article in Navbharat Times
सहमती, असहमती अपनी जगह है लेकिन यह बात स्पष्ट है कि 'आप' पार्टी में पहली बार वे लोग आए जो राजनीति के नहीं थे, मतलब रुग्ण नहीं थे। अच्छे पढ़े-लिखे, कलाकार, सोचने-समझने वाले लोगों ने मिलकर प्रयास किया। लेकिन देश की दो दिग्गज पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी के होते इन भले लोगों का मैदान में डटे रहना आसान नहीं था और लगता है कि अपराधियों ने भले लोगों को मैदान से बाहर फेंक दिया है।
इस देश की लगभग अशिक्षित भीड़ ने शिक्षित उम्मीदवारों की जगह अपराधियों को चुनने में देर नहीं की। यदि पढ़े-लिखे, विचारशील, कलाकार, लेखक, पत्रकार, चिंतन-मनन करने वाले, ईमानदार और अपराधों से बहुत दूर रहने वाले भले लोग छंटे हुए राजनेताओं से हार जाते हैं तो यह प्रजातंत्र की सबसे बड़ी हार है।
मैंने भारतीय प्रजातंत्र का कभी सम्मान नहीं किया। यहां पर तो भीड़ चाल (भेड़ चाल)चलती है। कभी कांग्रेस के नाम पर तो कभी मोदी के नाम पर, भेड़ें, भेड़ें ही होती हैं...हजारों सालों से इस देश की ये मूढ़ भीड़ लूटती रही और यह क्रम आज भी चल रहा है।
समय-समय पर अस्तित्व ने इस देश को अवसर दिये कि अपनी बिगड़ी किस्मत को सुधार ले, लेकिन भीड़, भेड़ें समझ पाती तो आज यह देश कुछ और ही होता...।
आप पार्टी का असफल होना...आधुनिक भारत की बदकिस्मती ही कहा जायेगा...भले लोग अपराधियों से फिर हार गये...! more