झारखण्ड का उपराजधानी दुमका में दम तोड़ता स्वच्छ भारत अभियान
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वंय गांधी जयंती के मौके पर अपनी महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत अभियान' की शुरुआत कि थी. मोदी जी ने खुद झाड़ू लगाया, लोगों को दिलाई साल में 100 घंटे सफाई के लिए देने की शपथ.
आइये इस महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत अभियान' के बारे में कुछ जाने :
लक्ष्य : साल 2019 (गांधीजी की 150वीं जयंती)
तक हर गांव, शहर, कस्बे को साफ करना। पक्के टॉयलेट, पीने का साफ पानी, कचरा निपटाने की ठोस व्यवस्था करना।
खर्च: 1.96 लाख करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसमें से 1.34 लाख करोड़ गांवों में 11 करोड़ पक्का टॉयलेट बनवाने पर खर्च होंगे। 62 हजार करोड़ खर्च कर शहरी इलाकों में 5.1 लाख पब्लिक टॉयलेट्स भी बनाए जाने हैं।
बीजेपी शासित राज्य झारखण्ड के उपराजधानी दुमका में यह महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत अभियान' अपना दम तोड़ता नजर आ रहा है.आइये जाने
कितना सच्चाई है इस बात में :
सरकार/प्रशासन जब स्वंय कार्यक्रम कर करे गंदगी तो आम लोग तो करेगे ही.झारखण्ड कि उपराजधानी दुमका से सटे गांव हिजला में प्रशासन दुवरा 126 वर्ष पुराना जनजातिये हिजला मेला का आयोजन करते आया है.आजाद भारत में ऐसा सुखद क्षण नहीं आया की प्रशासन मेला के ख़त्म होने के बाद मेला परिसर का सफाई किया हो.विगत दो वर्षो से ग्रामीण बच्चे इस मेला परिसर कि सफाई करते आये है.अब कि बार देश में सत्ता बदला,श्री नरेद्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने.उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत अभियान' लंच किये और स्वंय भी झाड़ू लगाये.उनको देखा-देखी देश के सभी अधिकारी और सभी पार्टी के नेता झाड़ू पकड़ते नजर आये.कुछ समय तो ऐसा लगा कि देश में चमत्कार हो गया है,एक अच्छे लक्ष्य के लिए पक्ष-विपक्ष सभी एक हो गए.लेकिन यह एक मात्र दिखावा था.जहाँ-जहाँ कैमरा कि नजर नहीं पड़ रही है वहाँ-वहां झाड़ू उठाकर 'स्वच्छ भारत अभियान' दम तोड़ते नजर आ रही है.झारखण्ड के उपराजधानी दुमका से सटे गांव हिजला में प्रशासन दुवरा 126 वर्ष पुराना जनजातिये हिजला मेला का आयोजन किया जाता आया है.इस मेला समिति के अध्यक्ष,सचिव जिला के आला अधिकारी होते आये है लेकिन ऐसा कभी नही हुआ कि प्रशासन मेला ख़त्म के बाद मेला
परिसर का सफाई की हो.विगत दो वर्षो से गांव के आदिवासी बच्चे मेला ख़त्म होने पर मेला परिसर की सफाई करते आये है.मेला के बाद गन्दगी से बिमारियां तो फैलती ही है साथ-साथ यह खेती योग्य भूमि को भी ख़राब कर रही है,जो प्लास्टिक उड़ कर खेत में चले जा रहे है.यहाँ के आदिवासी किसानों कि स्थित दयनीय है.इस गंदगी से कई मवेशियों की भी जान जाती रही है.पोलीथिन में खाध सामग्री बचे रहने से मवेशी उसे पोलीथिन के साथ खा जाते है और बाद में पेट फूलने से मवेशीयों का असमय मृत्यु हो जाती है.आदिवासी ग्रामीण पीछले बार प्रशासन को आवेदन देकर इसकी सफाई कि गुहार लगयी थी लेकिन धरातल में कुछ नहीं हुआ.इस बार देश का सत्ता बदला और श्री नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत अभियान' भी लंच किये और स्वंय इसे प्रमोट करने के लिए झाड़ू भी पकड़े.केंद्र और झारखण्ड में बीजेपी कि सरकार बनी.ऐसा लगा अब झारखण्ड का विकास होगा क्यों कि दोनों जगह बीजेपी कि सरकार है.लेकिन अब तक ऐसा प्रतीत होता नजर नहीं आ रहा है.कम से कम 'स्वच्छ भारत अभियान' को देखकर तो यही लगता है.झारखण्ड का उपराजधानी दुमका से डॉ लुइस मरांडी(भाजपा)ने JMM पार्टी के श्री हेमन्त सोरेन पूर्व मुख्यमंत्री को हरा कर जीती है उसके बाद भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत
अभियान' दुमका में दम तोड़ता नजर आ रहा है.अगर स्वंय प्रधानमंत्री का महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत अभियान' भाजपा शासित राज्य में ठीक से नहीं चले तो लोगो को यह समझने में देर नही लगेगा कि प्रधानमंत्री का महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत अभियान' भी एक जुमला है.
नोट:बच्चे के सफाई अभियान को देखने के लिए क्लिक करे https://www.facebook.com/media/set/?set=a.716218395068015.1073741950.100000395844668&type=1&l=1cf3675b65 more