दिल्ली में निजी कम्पनियों ने केंद्र से आवंटित बिजली सरेन्डर कर कमाए 2807 करोड़ रु
अभियन्तायों ने कहा कि प्रदेश के मुख्य मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर गाडगिल फार्मूले में बदलाव की मांग सही है किन्तु उसके पहले उन्हें केंद्र से पूछना चाहिए कि दिल्ली की निजी कम्पनियों को अतिरिक्त बिजली देने की मेहरबानी किस फार्मूले के तहत की जा रही है। उन्होंने कहा कि बिजली इंजीनियर यह सवाल वर्षों से उठाते रहे हैं, अब जब बिजली आवंटन की नीति पर सवाल उठा है तो ज़रूरी है कि नई नीति बनने तक दिल्ली की अतिरिक्त बिजली उ प्र को दी जाये। उन्होंने कहा कि दिल्ली की निजी कम्पनियाँ यह बिजली संकट के समय उ प्र सहित अन्य प्रांतों को काफी महंगी दरों पर बेचती हैं जो नियम विरुद्ध है, यह सवाल भी प्रदेश सरकार को उठाना चाहिए।
प्रदेश में रिलायंस के रोज़ा प्लांट और बजाज के पावर प्लांट से क्रमशः 6.06 रु एवं 7.75 रु प्रति यूनिट पर बिजली मिल रही है जो प्रदेश के सरकारी बिजली घरों की तुलना में दोगुनी और ढाई गुनी महंगी है | बिजली अभियन्ताओं ने यह सवाल भी उठाया कि रिलायन्स के सासन पावर प्लांट से पूरी बिजली न मिलने का मामला भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को उठाना चाहिए क्योंकि करार के अनुसार इस प्लांट से उ प्र को मात्र रु 1.21 प्रति यूनिट की दर पर बिजली मिलनी है और बिजली दरें बढ़वाने में लगी रिलायंस जानबूझकर सासन प्लांट को पूरी क्षमता पर नहीं चला रहा है। more