महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए अलग मंत्रालय
हम सब भारत के स्वर्णिम भविष्य के सपने देखते है , जो अपने आप में मिसाल होना चाहिए! हमारी व्यवस्था को देख एकता और अखंडता का दर्शन होना चाहिए ! हमें ऐसी व्यवस्था की जरूरत जो जाति , धर्म विरहित हो और समस्त भारतीयो को एक ही दृष्टिकोण से समझे और न्याय करे ! एक राष्ट्र , एक कानून की व्यवस्था की नीव अब हमे डाल देनी चाहिए ! जातिया, धर्म जो की समाज को तोडते है , जो आपस में द्वेष को जन्म देते है ऐसी व्यवस्था को कानून में कोई स्थान नही होना चाहिए ! ब्रिटिशो ने जो तत्कालीन व्यवस्था छोड़ गये उसको कबतक हम निभाने वाले है ! कबतक हम सब अलग अलग पहचान लिए रहेंगे ! क्या हम सिर्फ भारतीय नही हो सकते ! क्यों हम सवर्ण , दलित , अलग धर्मो की पहचान लिए लड़ते है !
जातियों धर्म को क़ानूनी दस्ताएवजो स्थान देना यानि उन्हें भविष्य में बनाये रखना ! कमसे कम कानून या शासन के लिए सभी एक समान होने चाहिए ! आदर्श व्यवस्था यही होगी ! राजनैतिक स्वार्थ के लिए लोग इन्ही सामाजिक कमजोरियों का फायदा उठाते है! हम ऐसी सरकारो , नेतृत्वो की जरूरत है की वे निष्पक्ष कार्य राष्ट्र हित में कर पाए !
ऐसे में महाराष्ट्र में जो अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए अलग से मंत्रालय देना निराशजनक है ! यह तुष्टिकरण की राजनीती अत्यंत दुखद व् भविष्य के आदर्श व्यवस्था के विपरीत है ! हम अलग अलग मंत्रालय कितने बनाने वाले है ! ये निर्णय कैसे सही है बताये ! more