नया श्रम कानून देगा फैक्ट्री मालिकों को फायदा, खतरे में मजदूरों के अधिकार
क्या हैं प्रावधान
मैन्युफैक्चरिंग में एप्रेन्टिस को बढ़ावा दिया जाएगा। कंपनियां एप्रेन्टिस को काम करने के बाद सर्टिफिकेट मुहैया कराएंगी। हालांकि, उन्हें नौकरी पर रखने के लिए कंपनियों को जोर नहीं दिया जाएगा।
फैक्ट्री एक्ट के तहत ज्यादातर नियमों को समाप्त करने की बात कही गई है। फायरिंग और फायरिंग के नियमों को आसान कर दिया गया है। कंपनियां जब चाहें कर्मचारी को नौकरी पर रख सकती हैं। वहीं, जब चाहें उन्हें निकाल भी सकती हैं।
ट्रेडर एसोसिएशन ने क्या कहा
ऑल इंडिया सेंट्रल कॉन्सिल ऑफ ट्रेड यूनियन (एआईसीसीट) के राष्ट्रीय सचिव राजीव डिमरी ने मनी भास्कर को बताया कि एप्रेन्टिस के जरिए मोदी सरकार वर्कस कैटेगरी को भी समाप्त करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में वर्कस लॉ को ही सिरे से गायब करने की तैयारी हो रही है।
मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लंबे समय तक एप्रेन्टिस से काम कराती हैं और उन्हें पैरोल कर्मचारी नहीं बनाती हैं। ऐसे में कंपनियों को वर्कस की सुविधा और सेफ्टी पर खास ध्यान नहीं देना पड़ेगा।
जिस फैक्ट्री में 300 कर्मचारी काम कर रहे हैं वहां इंडस्ट्रीयल डिसप्यूप एक्ट (आईडी एक्ट) को समाप्त कर दिया जाएगा। इससे फैक्ट्री मालिक श्रमिकों को जब चाहे नौकरी पर रख सकते हैं। वहीं, जब चाहे निकाल भी सकते हैं। इसके अलावा, मजूदरों और ट्रेडर यूनियन के अधिकारों को खत्म करने की तैयारी भी की जा रही है।
भारत में बेहद कम है फॉर्मल जॉब
एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा जारी एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2009 में 84 फीसदी भारतीय मैन्युफैक्चरिंग श्रमिक ऐसी कंपनियों में काम कर रहे हैं जहां केवल 50 लोगों का ही स्टाफ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मात्र 8 फीसदी भारतीय कर्मचारियों के पास ही फॉर्मल जॉब्स हैं जिनके पास सिक्योरिटी और बेनिफिट जैसे प्रॉविडेंट फंड आदि है। more