महंगाई - गेहूं यानी wheat
- नई फसल आने के बाद भी कीमतें न घटीं. अगस्त में गेहूं की क़ीमत करीब 100 रुपये/ क्विंटल बढ़ चुकी है. आटा करीब तीन रुपये/किलो महँगा हुआ, एसा उपभोक्ता विभाग बता रहा है.
- आटा महंगा तो ब्रेड से लेकर रेस्टोरेंट-ढाबे तक महंगाई का साम्राज्य.
- रबी की खरीद निबट ली, केंद्रीय पूल में पर्याप्त गेहूं नहीं जुटा. एक अगस्त को स्टॉक बीते साल से कम ( 280 की जगह 268 लाख टन) रह गया.
- किसानों ने सरकार को गेहूं नहीं दिया. लक्ष्य था 320 लाख टन खरीद का, जुट पाया केवल 266 लाख टन.
- बाजार ने माहौल भाँप लिया , कीमतें फिर बढ़ चलीं.
- गेहूँ की उपज यानी आपूर्ति तो बढ़ी है ( इस साल उत्पादन 11.29 करोड़ टन, पिछले साल 11.05 करोड़ टन था) मगर . .
- गेहूं की थोक महंगाई लगातार चिढ़ा रही है (जुलाई 2024 में 7%, जुलाई 2023 में 8.01% और जुलाई 2022 में 13.61%). दो साल में 17% बढ़ा है भाव
- चुनाव से पहले सरकार ने आटा बेचा, खुले बाजार में गेहूं की बिक्री हुई, मगर ..
- दो साल पहले गेहूं का निर्यात बंद कर दिया था. उत्पादकों को नुकसान की कीमत पर भी महंगाई न थमी.
- महँगे हुए गेहूं से किसानों को कितना फ़ायदा हुआ ? कम्पनियाँ तो गाँव में घटती माँग को बिसूर रही हैं.
- मानसून सुर्खियों में सामान्य और भीतर से अस्त व्यस्त है. 19 अगस्त तक 30% जिलों में बरसात सामान्य से कम रही है जबकि 17% जिलों में जरुरत से ज्यादा.
- खरीफ की बुवाई संतुलित है मगर मानसून के मिजाज को देखकर उपज पर असमंजस है.
- गेहूं के आयात की नौबत आएगी? सुगबुगाहट भी है और इंकार भी.
- RBI इशारे कर रहा है कि थाली वाली (Foo more