डीमेट समस्या
हम भविष्य को ध्यान में रखते हुए साथ ही साथ सुरक्षा उद्देश्य के मद्देनजर अपने जीवनसाथी, बेटे, बेटी (जैसा भी मामला हो) के साथ संयुक्त नामों में शेयरों को रखा।
हम सभी का यह स्पष्ट मानना है कि भौतिक रूप से शेयरों को हटा देना एक उचित कदम है लेकिन हम demat करवाने में कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं जैसे -
1) हम छोटे निवेशक हैं और हर समय स्थान परिवर्तन के कारण हमें कम्पनियों के बारे में सही जानकारी का हमेशा अभाव रहा है|
क] जिनकी नौकरी ट्रान्सफर होती रहती है उनके share कहीं बच्चों के पास पड़े हैं तो कहीं गाँव वाले घर में पड़े हैं इन सबके चलते डाक अस्त ब्यस्त होती है जिसके चलते सही जानकारी मिल नहीं पाती|
ख] उसके अलावा काफी कम्पनियाँ नाम बदल लिया तो कुछ दुसरे में मिल गयीं |
ग] इसके अलावा share के मूल्य में बदलाव भी तकलीफ दे रहा है |
घ] कम्पनियाँ के पते भी बदल गए या रजिस्ट्रार बदल गए |
च] बहुत सी कम्पनियाँ बिक भी गयीं तो कुछ प्राइवेट में परिवर्तित हो गयीं |
छ] बेटे / बेटी साथ में नहीं रहते यानि सब अलग अलग हैं |
2) अनेकों कम्पनियों ने अब जाकर यानि कुछ समय पहले ही ISIN No.प्राप्त किये हैं और डीमेट प्रोसेस शुरू किया है ।
3) अनेक कम्पनी एक ही depository से सम्बन्धित है यानि यदि डीमेट अकाउंट उसीसे सम्बन्धित depository participant के पास है तब तो ठीक अन्यथा डीमेट कैसे सम्भव है ।
ऊपर उल्लेखित कारणों के चलते शेयर बाजार में निवेश करने वाले लाखों निवेशकों के पास अभी भी फिजिकल फॉर्म में ही कंपनियों के शेयर पड़े हैं | इस समय देश में करीब 5.30 लाख करोड़ रुपये के शेयर फिजिकल फॉर्म में हैं| इसलिये सरकार को पहले बुनियादी समस्याओं को हल करना चाहिये अन्यथा कड़ी मेहनत से किया गया निवेश शून्य में परिवर्तित हो जायेगा जिसके चलते ईमानदार छोटे वरिष्ठ शेयर निवेशक इसको अपने प्रति विश्वासघात के रूप में लेंगे ।
सरकार / सेबी / स्टॉक एक्सचेंज उपरोक्त उल्लेखित सभी प्रकार की समस्याओं को दूर कर सकते हैं यदि वे सभी शेयरों को अनिवार्य रूप से डिमैट में परिवर्तित का उत्तरदायित्व कम्पनियों पर डाल दें और निवेशकों को भी भौतिक शेयरों को demat में परिवर्तन हेतु नियेमों में कुछ रियायत दें क्योंकि वरिष्ठों के पास सभी नियमोंं का पालन करने के लिए इतनी ऊर्जा नहीं है और हर कदम पर खर्चों के अलावा बार-बार यात्रा की आवश्यकता होती है [कृपया ध्यान दें कि जो लोग प्राइवेट फर्मों से सेवानिवृत्त हुए हैं उनको पेंशन नहीं है इसलिए उनके पास आय का बहुत कम स्रोत है] |
समस्याओं के निदान हेतु कुछ सुझाव ---
A] पहले नाम यानि जिसका नाम प्रथम हो उसे संयुक्त नामों में रखे गए भौतिक शेयरों को अपने नाम में डीमैट की अनुमति दी जाय भले ही उसके लिये किसी भी प्रकार का फॉर्म भरवा लिया जाय या 10/- का स्टाम्प पेपर पर Affidavit ले लें ।
B] SEBI के web में सभी कम्पनियों का नाम होना चाहिए यानि जिस नाम से सबसे पहले कम्पनी ने रजिस्ट्री करवायी उसी से शुरू हो | फिर उसमेंं हर प्रकार के बदलाब का पूरा पूरा उल्लेख हो ताकि निवेशक कों बिना ज्यादा दिक्कत के जिस तरह भी ढूंढे उसे सही जानकारी मिल जाय |
C] जो शेयर खो गये हैं उसके लिये प्रक्रिया में ढील दी जाय यानि
अ) Affidavit केवल 10/- का स्टाम्प पेपर पर माँगा जाय यानि बाकि सारी प्रक्रिया सादे कागज पर मान्य कर दी जाय । सभी का यह मानना है कि 10/- के स्टाम्प पेपर पर वाला Affidavit की मान्यता / बाध्यता उतनी ही रहेगी जितनी की 500/- वाले स्टाम्प पेपर पर किये गये Affidavit की ।
ब) FIR की आवश्यकता हटा दी जाय यानि सम्बंधित थाने में रजिस्ट्री से सूचना भेजी उसकी स्वहस्ताक्षरित कापी के साथ रजिस्ट्री की रसीद लेलें।
स) विज्ञापन करने का दायित्व व खर्चा कम्पनीयों पर ही होना चाहिये यानि कम्पनीयाँ चाहें तो ignore भी कर सकें।
और इस तरह के शेयर भौतिक रूप में जारी ही न किये जाँय यानि credit effect demat a/c में ही दिये जाँय।
D] वरिष्ठों के हस्ताक्षर वाली समस्या का भी निदान अति आवश्यक है इसमें भी दिशा निर्देश स्पष्ट किये जाँय क्योंकि लम्बा समय बाद ढलती उम्र में हस्ताक्षर में फर्क आयेगा ही लेकिन हर हालात में शैली, ढ़ंग,प्रवाह और भाषा तो मिलेगी ही।
उपरोक्त तथ्यों से जाहिर है 31 मार्च 2019 तारीख़ बढ़ना ज़रूरी है. ऐसा नहीं हुआ तो बहुत लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है ।
हम आशा करते हैं कि SEBI उपरोक्त तथ्यों पर सकारात्मक विचार कर तुरन्त प्रभाव से ऐसी कार्ययोजना लागू करेगी जिससे सम्पूर्ण रुप से भौतिक शेयर बाजार से हट जाँयेगे ।
सभी SEBI अधिकारियों को यह समझना चाहिये कि हम demat कराने की चाहत रखते हुए भी लाचार हैं और समस्याओं का उचित समाधान ही सम्पूर्ण लक्ष्य प्राप्त करवा देगा और इसी उद्देश्य के लिये मैंने ऐसा तरीका सुझाया है जिससे कम समय में ही लक्ष्य प्राप्त कर पायेंगे क्योंकि जो भी भौतिक शेयर कम्पनी के पास आयेगा उसे लौटाना तो है ही नहीं बल्कि डीमेट क्रेडिट ही देना है ।
उपरोक्त के मद्देनजर अगर हम एकजुट होकर प्रयास करते हैं तो हम एक चमत्कारिक सफलता की उम्मीद कर सकते हैं।
जी डी बिनानी
gd_binani@yahoo.com
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