न्याय व्यवस्था
यंहा में एक उदहारण देना चाहता हूँ। जैसे S खान ने कुछ गरीब लोगो पर गाड़ी चढ़ा दी थी और कुछ की मौत व् कुछ घायल हो गए थे। सबसे पहले छोटी अदालत में केस जायेगा कई साल चलेगा और मान लो अदालत ने सजा सुना दी परन्तु उसके बाद पैसा वाला आदमी बड़ी अदालत में जायेगा और कुछ गवाहों को तोड़ेगा, धमकायेगा। और मान लो बड़ी अदालत ने भी सजा बरकरार रखी तो वो और बड़ी अदालत में जायेगा कई साल और केस चलेगा और मान लो इस अदालत ने बरी कर दिया तो क्या वो गरीब आदमी इन्साफ के लिए उससे बड़ी अदालत में जा सकता है ? नहीं, क्योंकि उसके पास पैसे ही नहीं है.... अब आप कहोगे कि क्यों नहीं जा सकता अगर उसके पास पैसे नहीं है तो सरकार वकील कराके देगी।।। पर जैसा कि आप जानते है के ज्यादातर सरकारी वकील रिश्वत खोर होते है या तो वो रिश्वत लेकर केस हार जाते है या दूसरे पक्ष के वकील के सामने लड़ने योग्ये नहीं होते। ऐसे में गरीब आदमी इन्साफ मिलने से वंचित रह जाता है। न्याय तो यहीं मर गया....
जो लोग सरकार में आते है सबसे पहले कसम खाते है कि हर कीमत पर सविधान की रक्षा करेंगे।
मेरी राय से गरीब आदमी को भी अपनी मर्ज़ी का वकील करने देना चाहिए और जो भी खर्च हो सरकार को देना चाहिए या इस ओर कोई मजबूत तरीका अपनाना चाहिए। जिससे कि न तो गवाह बदले और हर गरीब आदमी किसी भी अदालत में लड़ सके। more