गत सप्ताह दिल्ली से मुम्बई राजधानी द्वारा यात्रा करते हुए टी टी ई ने बढ़ा हुआ किराया वसूल किया और बिना रसीद दिये जाने लगा तो हमने कहा -- रसीद प्लीज़ ! इस पर वह बोला -- सारे डिब्बे की एक साथ काटेंगे ! लेकिन हमारे जोर देने पर वह एक मिनट मे ही वापस आया और रसीद दे दी !
वापसी मे फिर टी टी ई ने पैसे लिये और बोला -- ओफ़िस मे तो नहीं देना ! हमारे ना कहने पर वह बिना रसीद दिये ही चला गया और हम सोचते रहे कि अभी आकर दे जायेगा ! लेकिन वह फिर कहीं नज़र नहीं आया !
ज़रा सोचिये :
* बिना रसीद काटे वह पैसा क्या सरकारी खाते मे जायेगा !
* यदि नहीं तो किस की जेब मे जायेगा ?
* यदि टी टी ई की जेब मे गया तो रेलवे को कितना नुकसान हो रहा होगा !
* माननीय रेल मंत्री जी ने रेलवे की हालत को सुधारने के लिये जनता पर भार डाला ! लेकिन क्या खुद रेलवे कर्मचारी ही सरकार को लूट रहे हैं !
* क्या सरकार को लूटने वाले और जनता को मूर्ख बनाने वाले कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही होनी चाहिये !
याह मामला एक कर्मचारी का नहीं है ! इसलिये किसी व्यक्ति विशेष की शिकायत ना समझा जाये ! लेकिन सामूहिक रूप से रेलवे की कार्य प्रणाली मे सुधार की आवश्यकता है ! more