करोना को हराना है जब सामने वाली दीवार पे सूरज आ के बैठेगा, जब पार्क के, बग़ल वाले रास्ते के पत्थरों की थकावट, कोई पांव न उतार पाएंगे, जब सब पक्षी, प्रदूषण रहित, सुगन्धित, भीनी हवा में, हैरानी से सांस ले रहे होंगे, मैं अपने घर के कमरे में, घर में रहने को उत्सुक हूंगा, कमाल का अहसास है यह। आज रात की दहलीज़ पे ताली, घंटी, शंख, ॐ की आवाज़ ने, कल शाम के आँगन का हाल, साफ साफ़ लिख दिया, सुबह के सात बज गए हैं, मन में असीम शान्ति का अहसास लिये, सूरज की नर्म किरणों को निहार रहा हूँ, दुआओं का झुरमुट मिल के कह रहा है, आयो - एक सूत्र में बंधे, हम सलाम करें,हर उस इंसान को, जो इस घड़ी में, बंधे एक कड़ी में, हम इन्सानों की ख़ातिर, न सो रहा है, न थक रहा है,न कोई बहाना है, बस एक ही ज़िद है, करोना को हराना है, सलाम उस इन्सान को भी, जिसको प्रभु वरदान दिया, देश को जगाने का आह्वान किया बहुत सी दुआओं के संग मैं शाम कुमार
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