Congrats Mr Goyal. Keep it up
दरअसल, विजिलेंस टीम को जानकारी मिली थी कि सोमेसर स्टेशन पर तत्काल टिकटों को लेकर कुछ गड़बड़ी हो रही है। इसके लिए दो विजिलेंस निरीक्षकों की टीम ने वहां पहुंच छापा मारा तो पता चला कि यात्री तत्काल टिकट के लिए दो यात्रियों के नाम लिखकर आवेदन करता, लेकिन काउंटर क्लर्क भगत सिंह अपनी ओर से इसमें दो नाम और जोड़ देता। वह इस टिकट की फोटो काॅपी करवा लेता। मूल टिकट मूल यात्री को दे देता और काॅपी उन यात्रियों को दी जाती जो दलाल के माध्यम से प्रति टिकट पर ज्यादा पैसे देते थे।
विजिलेंस टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अब तक ऐसे कितने टिकट बनाए गए और इन यात्रियों से कितने पैसे वसूले जाते थे। ऐसा इसलिए संभव होता, क्योंकि चारों सीट आसपास ही होती और टीटीई मूल टिकटधारी की आईडी देख लेता और यात्रियों की संख्या बराबर देख आगे निकल लेता है। ऐसे में फोटो काॅपी केवल यात्री को भरोसा दिलाने के लिए देते कि उनका टिकट बुक हो चुका है। जांच के दौरान क्लर्क के पास ढाई हजार रुपए की नकदी कम मिली।
# यात्रियों से पूछताछ में खुली दलाल, क्लर्क व स्टेशन मास्टर की पोल
दलाल को 1500 रुपए देकर बनवाए कंफर्म टिकट
ट्रेन संख्या 16209 में सफर कर रहे एक परिवार ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने गोपाल नाम के दलाल से मारवाड़ जंक्शन से पुणे तक के चार टिकट बनवाए थे। उसने किराये के अतिरिक्त 1500 रुपए लिए थे, इस बात के कि तत्काल में उनका रिजर्वेशन हो जाएगा। ऐसा हुआ भी।
स्टेशन मास्टर 100 रुपए लेकर बनाता तत्काल टिकट
विजिलेंस टीम ने ट्रेन संख्या 18422 में एक टिकट की जांच की तो यात्री ने बताया कि उसने स्टेशन मास्टर श्याम लाल मीणा को 100 रुपए देकर तत्काल में टिकट हासिल किया। उसे भी कहीं से जानकारी मिली थी कि स्टेशन मास्टर टिकट बनवा कर दे देता है।
इन ट्रेनों में भी मिले ज्यादा रुपए देकर टिकट बनवाने वाले
इधर, ट्रेन संख्या 14707 में दो यात्रियों के साथ दो, ट्रेन संख्या 16209 में एक यात्री के साथ तीन और अरावली एक्सप्रेस में एक यात्री के साथ एक अन्य यात्री का नाम बुकिंग क्लर्क ने अपने स्तर पर जोड़कर दूसरों के लिए टिकट बनाने का खुलासा हुआ। more