Stopping Open Defecation: Practical Actions
Open Defecation generally is most common in morning hours between 5:30 and 7:30 am.
With this post we want to seek your practical inputs on what can be done by local administration, ngos, active citizens, community leaders to atleast stop the open defecation that occurs as a matter of choice.
We look forward to your most practical ideas!
Swachh Bharat Mission
- Build more public toilets in villages, highways, slums, etc. - Ensure that there is adequate sewerage and waste management in place. - Waste should be treated and converted to manure for farms. - Water should be provided for all toilets. - Cleanliness of toilets should be mandated
May 07
We see people defecating adjoining the community toilets! Public education is primary action needed.
May 07
Government facilitates various schemes and allot sufficient fund. But how to use with best use depends upon the users. No doubt corruption is involved everywhere but one should come forward and contribute their attention to the concerned authorities. If public will be alert and agile and mobilise their views and complaints up to high level then only administration will come to know the reality.
May 07
Let the authorities provide sufficient infrastructure to implement Swachha Bharat Mission.
May 07
१२ April को कार छोड़ कर गोवर्धन जी की परिक्रमा हेतु मथुरा जाने के लिये ताज इक्स्प्रेस से सफ़र किया। रास्ते भर सफ़ाई अवम खुले में शौच को रोकने की कुप्रथा सबसे ज़्यादा रेल्वे की ख़ाली ज़मीन पर ही दिखाईं दी। इसके लिये रेल्वे ही जिम्मेदार हे। क्या रेल्वे अपनी ख़ाली ज़मीन जो पटरियों के दोनों तरफ़ गंदगी से भरपूर पड़ीं है उसका बेहतर उपयोग के लिए कोयी उत्पादकता युक्त योजना नहीं ला सकता? सभी देशी विदेशी दैनिक इस मार्ग पर सफ़र करते है अधिकतर विदेशी ताजमहल देखने आगरा जातें है। यें सभी विश्व से आए यात्री इस व्यवस्था पर क्या सोचते होंगे? क्या रेल्वे प्रधान मन्त्री जी की खले मैं शोच ना जाने की कुप्रथा का रोकने में असफल हुआं है या जान भूझ कर अनदेखा कर रहा हैं। दयनीय अवस्था को देख बहुत हुआं। मुझे पूरी उम्मीद है कि रेल्वे के अधिकारी या बोर्ड इस पर अतिशीघ्र कोयी उपयोगी योजना बनायेंगे। अन्यथा अमिताभ बच्चन जी के सारे प्रयास बेकार जायेंगे। जब मथुरा जंक्शन पर पहुँचा तो कुछ समय एक नम्बर प्लेटफ़ॉर्म पर किसी दोस्त की एंतज़ार में बेठने का समय मिला। प्लेटफ़ॉर्म पर नयी scanner मशीन लगायी गयी थी परंतु उसका उपयोग नहीं हो रहा था। उत्सुकता वश मेने duty पर तैनात दो महिला police अधिकारी से पूँछ लिया की क्या मशीन ख़राब है? संतोषजनक उत्तर प्राप्त ना मिलने पर मैंने प्रार्थना की कि क्या आप उच्च अधिकारी को बुला सकती है। कुछ समय पश्चात दो police अधिकारी आए और मेरे से सवाल करने लगे कि आप ने हमें क्यों बुलाया और ऐसे सवाल क्यों पूछ रहे हो। एक अधिकारी श्री जगदीश सिंह जी काफ़ी बुज़ुर्ग थे लगभग ५८ वर्ष के होंगे। मुझे उनके प्रत्युत्तर पर हँसी आ गयी और मैंने इतना ही कहा कि मथुरा जैसे सेन्सिटिव जगह पर सुरक्षा ज़्यादा होनी चाहिए। वह ग़ुस्से में वहाँ से चले गये। मेरे पास बेठे एक सैनिक जो सादे वेश मैं था कश्मीर से आया था और अपने घर लखनऊ जा रहा था। उस सैनिक ने मेरा सारा संवाद ग़ौर से सुना अवम बहुत ग़ुस्से में था। बहुत गम्भीर हो कर व्यवस्था को मन ही मन कोस रहा था अवम बड़बड़ा रहा था। कर भी क्या सकता था। शायद यह लेख पढ़ सुरेश प्रभु जी कुछ कर सके अन्यथा ढाँचा तो बहुत ख़राब हैं। कहते है लातो के भूत बातों से नहीं मानते। उम्मीद हैं मोदी जी, योगी जी अवम प्रभु जी अव्यवस्था बदलने मैं कामयाब होंगे।
Apr 14